दीपक जलाने के लिए तेल या घी! क्या ज्यादा शुभ होता है? 99% लोग इसे जलाते समय करते हैं गलती, कहीं आप भी तो नहीं…

कार्तिक मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर दीपावली के दौरान जब दीपक जलाने की परंपरा बेहद अहम मानी जाती है। दीप को जीवात्मा और परमात्मा का प्रतीक माना जाता है, और इसे जलाने से शुभता, समृद्धि और शांति का वास होता है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि दीपक जलाने का सही तरीका क्या है? किस तेल या घी का उपयोग करना चाहिए, और क्या इस संदर्भ में कुछ विशेष दिशाएं या नियम होते हैं?
दीप जलाने का सही तरीका और लाभ
दीप जलाने से न केवल घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होता है। दीप आराधना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता का वास होता है। चित्तूर जिले के प्रसिद्ध पुजारी श्रीनिवास स्वामी के अनुसार, दीप को हमेशा दो कुंडों में जलाना चाहिए। एक कुंड में गाय का घी और दूसरे में तिल का तेल डालकर दीप जलाने से विशेष शुभ फल मिलते हैं।
दीप में किस तेल का उपयोग करें?
हिंदू धर्म में दीप जलाने के लिए विशेष प्रकार के तेल और घी का उपयोग किया जाता है। बाजार में कई प्रकार के तेल मिलते हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टि से गाय का घी और तिल का तेल सबसे उत्तम माने जाते हैं। गाय का घी पवित्र और शुद्ध माना जाता है, जो ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को बढ़ावा देता है। वहीं तिल का तेल विशेष रूप से शांति और सुख-समृद्धि के लिए उपयोगी माना जाता है। श्रीनिवास स्वामी के अनुसार, दीप जलाने में एक ही बाती का उपयोग करने से ज्यादा लाभ नहीं मिलता। दीपक में दो बातियों का उपयोग करना चाहिए, जिससे दो अलग-अलग ऊर्जा धाराएं उत्पन्न होती हैं।
दीप जलाने के लिए सही संख्या और दिशा
दीप जलाते समय बातियों की संख्या का भी विशेष महत्व है। पुरुषों को दीप में तीन बातियों का उपयोग करना चाहिए, जबकि महिलाओं को एक कुंड में 5 बातियां और दूसरे कुंड में 5 बातियां रखनी चाहिए। कुल मिलाकर 10 बातियां जलाना बहुत शुभ माना जाता है। यह संख्या विशेष रूप से समृद्धि और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि दीपक जलाने की दिशा का भी महत्व है। दीप को हमेशा उत्तर दिशा में जलाने से धन की प्राप्ति होती है और पूर्व दिशा में जलाने से कीर्ति और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
पूजा का महत्व और दिशा-निर्देश
दीप आराधना के समय पूजा स्थल पर विग्रहों का स्थान भी महत्वपूर्ण है। श्रीनिवास स्वामी के अनुसार, पूजा घर में बड़े विग्रहों को न रखें। इसके बजाय छोटे विग्रहों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही, नए वस्त्र पर चावल रखें, उस पर तामलपत्र रखें और उस पर विग्रह रखकर पूजा करें। यह विशेष रूप से श्रेष्ठ और शुभ माना जाता है।
दीप जलाने का उद्देश्य और महत्व
जहां रोज दीप जलता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है और सभी शुभ फल प्राप्त होते हैं। दीप जलाने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह घर के वातावरण को भी सकारात्मक बनाता है। श्रीनिवास स्वामी के अनुसार, दीप आराधना से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है, जो जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति का कारण बनती है।
इस प्रकार, दीपक जलाने का सही तरीका और सही तेल का चयन न केवल पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह घर में समृद्धि, शांति और सुख के वास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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